UNITED NEWS OF ASIA । इन्सान कुछ हद तक अपनी पहचान अपने कर्म व धर्म से बनाता है । इनमे से कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके अतुलनीय कार्य से शहर की भी पहचान बनती है .. कवर्धा दर्री पारा निवासी स्व. श्री ररु राम साहू उनमे से एक हैं ।
आज से लगभग 55 वर्ष पूर्व सन 1968-69 के दरम्यान धार्मिक प्रवित्ति के वक्ती स्व. कैलाश अग्रवाल की प्रेरणा से प्रात : 4 बजे कवर्धा शहर में प्रभात फेरी निकालने का पुण्य कार्य स्व. श्री ररु राम साहू ने प्रारंभ किया । आरंभिक दिनों में श्री साहू का साथ उनके मित्रगण स्व. घुरसिंह साहू, स्व. चन्दन साहू, स्व. घुरन साहू, स्व. मसलहा साव आदि ने किया ।
कालांतर में स्व. बुद्धू केंवट, स्व. जगतु सोनी, स्व. बाल कृष्णा, स्व. भागीरथी शर्मा के आलावा वर्तमान में ठाकुर पारा निवासी श्री रघुनाथ ठाकुर व कैलाश नगर निवासी श्री लखन ठाकुर, श्री केहर ठाकुर, शत्रुहन ठाकुर, सन्तु साहू, दिनेश पाली भी प्रभात फेरी का हिस्सा बन गये ।
बस फिर क्या था देखते ही देखते सुबह के 4 बजे कवर्धा शहर की गलियों में ढोलक, मंजीरा, ताशा और झांझ वाद्ययंत्र की ध्वनियों के बीच लोगों को भजन सुनाई देने लगा । कपकपाती ठण्ड में पूस की रात, जेठ की गर्मी हो या सावन – भादो में बारिश की झड़ी इन सबकी परवाह न करते हुए स्व. कैलाश अग्रवाल (विक्की विडियो के पास निवासी श्री बजरंग लाल श्री रामसिंह, श्री सियाराम अग्रवाल के पिता ) सबसे पहले श्री साहू के घर नियत समय में पहुच जाया करते थे, फिर उनकी टोली दर्री तालाब के पास से चलकर बड़े मंदिर, बुढा महादेव मंदिर, खेडापति हनुमान मंदिर, संतोषी माता मंदिर, जमात मंदिर, शीतला मंदिर, राम मंदिर भजन गाते हुए जाते और अंत में राधाकृष्ण मंदिर में प्रभात फेरी का समापन होता ।
चौथी कक्षा तक पढ़े श्री साहू इन सब बातों की चर्चा में अपने रामायण मंडली के साथी स्व. श्री बृजलाल शर्मा, स्व. श्री दुर्गा प्रसाद (वैद्य) और स्व. बलराम तिवारी को भी विनम्र भाव से याद करना नही भूलते थे। इन लोगों ने श्री राम जय राम – जय जय राम, हरे रामा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे, सीताराम सीताराम- राम राम सीताराम भजनों से लगभग 55 वर्ष पूर्व लोगों को धर्म से जोड़ने का जो कार्य प्रारंभ किया वह परम्परा आज पर्यंत तक जीवित है। बस फर्क इतना है की अब श्री साहू देवगमन के बाद देवलोक में भजन करते होंगे। आज भी इस प्रभात फेरी मंडली को धर्मनगरी कवर्धा के गलियों और सडकों में ढोलक, मंजीरा की थाप पर भजन गाते देखा जा सकता है। आज धर्म नगरी के निवासी लोगों में धर्म के प्रति प्रगाढ़ होती आस्था को देख कर यह कहना अतिशियोक्ति नही होगा की वाकई यह प्रभात फेरी मंडली धर्मनगरी कवर्धा की भविष्यदृष्टा ही थी, जो लोगों में आज पिछले 55 वर्षों से धर्म का अलख जगा रही है ।