
मध्य प्रदेश समाचार: टाइगर प्रोजेक्ट (टाइगर प्रोजेक्ट) के 50 साल पूरे होने पर आज मैसूर में तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी शामिल हो रहे हैं. कार्यक्रम में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टाइगर्स की संख्या घोषित करेंगे। पीएम की घोषणा के साथ ही आज मध्य प्रदेश को एक बार फिर टाइगर स्टेट (टाइगर स्टेट) का तमागा मिल जाएगा। प्रदेश में 700 से अधिक बाघ होने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2022 में प्रदेश में 526 बाघ मिले थे।
प्रधानमंत्री की घोषणा से पहले वन मंत्री का दावा
शोक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा से पहले ही मप्र के वन मंत्री विजय शाह ने दावा किया है। मंत्री शाह ने कहा कि मप्र में बाघों के संरक्षण में जो काम किया है, वह दुनिया में किसी ने नहीं किया। रिजल्ट तो रिजल्ट होता है पर हम 526 टाइगर के साथ टाइगर स्टेट थे, देश के मुख्यमंत्री जब रिजल्ट की घोषणा करेंगे तो हमारी दवा है कि मप्र में टाइगर्स की संख्या 650 से 700 तक होगी और एक बार फिर मप्र टाइगर स्टेट बनेगी।
1973 में टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुआत
बता दें कि भारत में 50 साल पहले 1973 में टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी। शुरुआत में देश में नौ टाइगर रिजर्व थे, मध्य प्रदेश में भी एक कान्हा रिजर्व शामिल था। आज मप्र में ही छह टाइगर रिजर्व हैं। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ कान्हा रिजर्व में हैं। यहां बाघों की संख्या 206 है। अब छह टाइगर रिजर्व हैं। मप्र में बाघों की संख्या भी लगभग 706 है।
सबसे अधिक बांधवगढ़ में Tiger
बता दें कि मध्य प्रदेश में कुल भरे हुए बाघ आरक्षित हैं, जिनमें बांधवगढ़, कान्हा, पन्ना, कटा हुआ, संजय और सतपुड़ा शामिल हैं। बांधवगढ़ में 31 बाघों की क्षमता है, जबकि बांधवगढ़ में वर्तमान में 220 बाघ हैं। इसी तरह कान्हा में 41 की क्षमता, 149 टाइगर हैं। पन्ना में 32 की क्षमता, 83 बाघ, काटने में 24 की क्षमता 129 बाघ, संजय में 34 की क्षमता और यहां 35 बाघ हैं। इसी तरह से 43 बाघों की क्षमता है, जबकि यहां 90 बाघ हैं। कुल मिलाकर मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या 205 है, जबकि यहां 706 बाघ हैं।
39 बाघों की लड़ाई से मौत
बता दें कि मध्य प्रदेश में बाघों के लिए पर्याप्त जगह नहीं होने की वजह से यह स्थिति बन रही है कि क्षेत्राधिकार के लिए बाघ आप में लड़ रहे हैं या शहरी शहरी में जा रहे हैं। बीते चार महीने पहले ही राजधानी भोपाल के एक शिक्षण संस्थान में बाघ ने डेरा डाल दिया था, लगभग एक महीने बाद इस बाघ को पकड़ा जा सका था।
इसी तरह बाघों के लिए पर्याप्त स्थान नहीं होने की वजह से टाइगर अब आप में लड़ रहे हैं। मध्य प्रदेश में अब तक आपसी लड़ाई की वजह से 39 बाघों की मौत हो चुकी है। इन बाघों की मौत नहीं होती तो बाघों की संख्या साढ़े सात सौ तक पहुंच जाती है।













