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ह्यूस्टन विश्वविद्यालय ने तमिल भाषा व साहित्य पर शोध के लिए आईसीसीआर के साथ समझौता किया

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यूनिवर्सिटी के प्रमुख रेणु खटोर ने कहा, “हम इस सहयोग के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के लिए सर्वोपरी हैं जो निश्चित रूप से हमारे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध को मजबूत बनाएंगे।”

तमिल साहित्य और संस्कृति पर शोध करने के लिए भारतीय अध्ययन की भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) की स्थापना के लिए अमेरिका में ह्यूस्टन विश्वविद्यालय और आईसीसीआर ने एक समझौता किया है। यह समझौता 29 मार्च को हुआ और भारतीय अध्ययन कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की कई वर्षों से कोशिशें जारी करने के तहत नया कदम उठाया गया है। यूनिवर्सिटी के प्रमुख रेणु खटोर ने कहा, “हम इस सहयोग के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के लिए सर्वोपरी हैं जो निश्चित रूप से हमारे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध को मजबूत बनाएंगे।”

वह इस विश्वविद्यालय की पहचान करने वाली पहली प्रवासी भारतीय हैं और 2008 से इस पद पर हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन का विस्तार छात्रों के लिए अनुभव को देखकर और उन्हें वैश्विक मंच पर सफलता के लिए तैयार करेंगे। इंडियन स्टडीज की आईसीसीआर पीठ के पद पर भारत के विद्वान आसीन होंगे जो तमिल अध्ययन में विशेषज्ञ होंगे। ह्यूस्टन में भारत के महावाणिज्य एंजल महाजन ने ‘पीती-भाषा’ से कहा कि याचिका का उद्देश्य तमिल भाषा, साहित्य और संस्कृति पर शोध करना और शिक्षा साझेदारी को गहन करना है। महाजन ने कहा, “तमिल को दुनिया का सबसे पुराना माना जाता है और अमेरिका में बोली लगाने वाली शीर्ष आकाश पक्षी में से एक है। अमेरिका में तीन लाख तमिल-अमेरिकी रहते हैं। यह मेरी अमेरिकी शिक्षा और ज्ञान साझेदारी और लुकाछिपी और गहरा करेगा।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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