
UNITED NEWS OF ASIA. भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स ने आखिरकार अंतरिक्ष से धरती पर सफल वापसी कर ली है। उनके साथ अमेरिकी एस्ट्रोनॉट बुच विल्मोर, निक हेग और रूसी एस्ट्रोनॉट अलेक्सांद्र गोरबुनोव ने भी सुरक्षित लैंडिंग की। ये चारों एस्ट्रोनॉट्स 18 मार्च को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से रवाना हुए थे और करीब 17 घंटे के सफर के बाद धरती पर लौटे। सुनीता विलियम्स के चेहरे पर वापसी की खुशी साफ झलक रही थी। उनकी मुस्कान इस ऐतिहासिक मिशन की सफलता की गवाही दे रही थी।

सुरक्षित वापसी के पीछे संघर्ष की कहानी
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने 5 जून 2024 को बोइंग के नए स्टारलाइनर क्रू कैप्सूल से अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी थी। इस मिशन की शुरुआत में ही कई चुनौतियां सामने आईं। शुरुआत में मिशन सिर्फ एक हफ्ते का था, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण वापसी को बार-बार टालना पड़ा। नासा ने सुरक्षा कारणों से स्टारलाइनर को खाली लौटाने का निर्णय लिया था, जिससे उनकी वापसी फरवरी तक टल गई। इसके बाद स्पेसएक्स कैप्सूल में आई दिक्कतों के चलते वापसी में एक और महीने की देरी हो गई।

लौटने से पहले 1650 डिग्री सेल्सियस के तापमान से हुआ सामना
धरती के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान स्पेसक्राफ्ट का तापमान 1650 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा हो गया था। इस दौरान करीब 7 मिनट का कम्युनिकेशन ब्लैकआउट भी हुआ। हालांकि, पूरी टीम ने धैर्य और साहस के साथ इस मुश्किल घड़ी का सामना किया और अंततः सुरक्षित लैंडिंग को अंजाम दिया।
EPIC! Astronauts Barry “Butch” Wilmore and Sunita Williams safely splash down on the Gulf of America after being stranded in space!
Thank you @elonmusk🇺🇸 pic.twitter.com/oZ2yI5FOkf
— Trump War Room (@TrumpWarRoom) March 18, 2025
ISS छोड़ने से पहले एक खास तस्वीर
धरती पर लौटने से पहले चारों एस्ट्रोनॉट्स ने स्पेस स्टेशन और ड्रैगन क्रू स्पेसक्राफ्ट के वेस्टिबुल के अंदर एक खास तस्वीर भी खिंचवाई। तस्वीर में बाईं ओर से क्लॉकवाइज क्रम में अमेरिकी एस्ट्रोनॉट बुच विल्मोर, निक हेग, सुनीता विलियम्स और रूसी एस्ट्रोनॉट अलेक्सांद्र गोरबुनोव एक साथ पोज देते हुए नजर आ रहे हैं।
लैंडिंग के कुछ देर बाद ही रिकवरी क्रू स्पेसक्राफ्ट के पास पहुंच गया।
सुनीता विलियम्स की वापसी – एक ऐतिहासिक क्षण
सुनीता विलियम्स ने इस मिशन के जरिए इतिहास रच दिया है। उनका यह सफर अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। उनकी हिम्मत, धैर्य और सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।



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