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लेम्यूम्स यानी फलिया, जो फलीदार पौधों के बीज होते हैं। ये सुपरफूड (Superfood) प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट (कार्बोहाइड्रेट) से भरपूर हैं। छोले, मटर, सोयाबीन, मूंगफली, रिजका, अल्फाल्फा शाकाहारियों के लिए पौधे पर आधारित पोषण का बेहतरीन विकल्प है। इसे खाने से शरीर को कई सी बीमारियों से बचाया जा सकता है। आप सामान्य क्षमताएं प्रदान करने वाले इन भौतिक पदार्थों को आप कई प्रकार से अपने माइल्स में शामिल कर सकते हैं। आइए जानते हैं लेग्यूम्स के बारे में 5 मुख्य बातें (फलियां के फायदे)।
इसके बारे में हमारे पोषण विशेषज्ञ टोनप से डॉक्स सोनी बता रहे हैं कि लेग्यूम प्रोटीन से भरपूर एक हेल्दी सुपरडफू है। वो लोग जो नॉनवेज नहीं खाते हैं, उनके लिए ये अत्यधिक लाभ है। पोषण स्तर के होश से प्रोजेक्ट तो 50 ग्राम लेगमों की एक सर्विंग दिन में कम प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकते हैं। एक कप लेगम्स से आपको 20 ग्राम प्रोटीन प्राप्त होते हैं। जो बैड कोलेस्टल को कम करके शरीर में गुड कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करता है।
आहार विशेषज्ञ बता रहे हैं लेगम्स के बारे में 5 जरूरी फैक्ट्स
1 ये प्रोटीन से भरपूर हैं
फलियों यानी फलियों में पोषण का स्तर बहुत अधिक होता है। प्रोटीन से भरपूर इन फलों में फाइबर, विटामिन, विटामिन, जीत और प्रबलता भरपूर मात्रा में पाया जाता है। आधा कप लेगमों में 1 ग्राम विटामिन, 8 ग्राम प्रोटीन और 20 ग्राम कार्ब्स पाए जाते हैं। इसका ग्लासमिक घनत्व होने के कारण ये ब्लड शुगर लेवल को भी नियंत्रित करने का काम करता है।
2 एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर
डॉ डॉक्स सोनी के अनुसार लेगम्स में बताया गया है कि एंटी ऑक्सीडेंट्स प्रापर्टीज पाए जाते हैं। ये न केवल इंफ्लेमेशन को दूर करता है बल्कि शरीर को अच्छा प्रोटीन प्रदान करता है। इसके अलावा गठिया के पेशेंट, जिनमें यूरिक एसिर्ड बढ़ने के कारण घुटनों में दर्द की शिकायत बनी रहती है। वो भी लेगम्स को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। वहीं दालों की तुलना में लेग्यूब्स शरीर को स्वस्थ रखने का काम करते हैं।
3 संवादों को कम करें
फलियों में काम्प्लेक्स कार्ब्स पाए जाते हैं। इन कार्ब्स से ब्लड में शुगर का स्तर नहीं बढ़ता है। क्लिनिकल न्यूट्रिशन की एक पढ़ाई के अनुसार अपने आहार में शामिल करके हाई कार्डियोवैस्कुलर जोखिम वाले लोगों में दाखिल होने की आंशका को 35 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। इसे आप एक विकल्प के रूप में अपने मील में अंडे, रोटी और चावल की जगह अगर शामिल करते हैं, तो इससे भी हिमपात का खतरा कम होने लगता है।
4 कब्ज से भी बचाते हैं
लेगम्स में फाइबर की मात्रा पाई गई है। इससे पाचन क्रिया उचित रखत्म हो चुकी है और कब्ज की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। दैनिक आहार में इसे शामिल करके डाइजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाया जा सकता है। अगर आप फलों को पूरी तरह से नहीं पकाते हैं, तो ये शरीर के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं।
5 कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करें
फलियों में सैपोनिन की मात्रा होने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहता है। इसके अलावा फाइटोस्टेरॉल रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को अनियमित करने का काम करता है।
क्या है लेगम्स को आहार में शामिल करने का सही समय
लेग्यूम्स को आप सोने के तौर पर खाने से पहले ले सकते हैं।
दाल को पकाकर चपाती या चावल के साथ खाया जा सकता है।
कई मिरह की लेग्यूम्स को आप अन्य एलर्जी के साथ मिलाकर कुक कर सकते हैं। सब्जी के तौर पर खा सकते हैं।
लेगमस कोर्केशन का सही तरीका
उन्हें बनाने के एक से दो घंटे पहले सोक कर लें। आप भले ही भिन्न हों, तो रात्रि भर भी छायांकन कर सकते हैं।
विकिरण के बाद की अवधि से इसकी लयबद्धता में परिवर्तन दिखने लगता है और इसका पोष्ज्ञन स्तर बढ़ जाता है।
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इन्हें सेमीकुक फॉर्म में खाने से बचें, जो पेट दर्द और अन्य बीमारियों के कारण बन सकते हैं।
इन्हें सोक करने के बाद पूरी तरह से तैयार करें, ताकि इससे आपके डाइजेशन सिस्टम को कोई नुकसान न हो। साथ ही आपको इसका पूरा लाभ भी मिल सकता है।
इसमें आप अलग-अलग रहते हुए अलग-अलग अलग-अलग खा सकते हैं।
इसके आप सलाद के फॉर्म में भी खा सकते हैं।
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