
दागेवाड़ा हमले में शहीद हुए 5 जवान थे पूर्व पुत्री
डेटावाड़ा: 26 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के दागेवाड़ा में हुए कारनामों से पूरा राज्य ही नहीं बल्कि देश हिल गया। जहां एक तरफ रवैया सरकार खत्म करने का दावा करती थी वहीं इस जिम्मेदार व्यक्ति ने उन जिम्मेदार लोगों की कली खोल दी। बुधवार को जिले में हुए बारूदी सुरंग विस्फोट में शहीद हुए 10 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। गुरुवार 27 अप्रैल को इन सभी शहीद सितारों का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। हमलों के बाद राज्य के विशेषाधिकार भूपेश बघेल ने कहा कि इन सील्स की शहादत बहुत नहीं होगी और इस हमले की पहचान को बख्सा नहीं किया जाएगा।
शहीद हुए 10 सील्स में से 5 पूर्व में बेटियां थीं
उसी समय जानकारी सामने आ रही है कि हमले में शहीद हुए 10 सील में से 5 जवानों की वापसी के बाद पुलिस बल में शामिल हुए थे। बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. उन्होंने कहा कि प्रधान आरक्षक जोगा सोढ़ी (35), मुन्ना कदती (40), आरक्षक हरिराम मंडावी (36) जोगा कवासी (22) और विश्वसनीय सैनिक राजूराम करटम (25) पहले धारक के रूप में सक्रिय थे, समर्पण करने के बाद वह पुलिस में शामिल हो गए थे।
दागेवाड़ा हमले में शहीद हुए चेहरे के शव
शुक्रवार को हमला हुआ था
सुंदरराज ने बताया कि पड़ोसी सुकमा जिले के अरलमपल्ली गांव के निवासी सोढ़ी और दांतेवारा के मुड़ेर गांव के निवासी कदती 2017 में पुलिस में शामिल हुए थे। इसी तरह के दंतेवाड़ा जिले के निवासी मंडावी और करटम को 2020 और 2022 में पुलिस में शामिल किया गया था। उन्होंने बताया कि दिवारा जिले के मड़गाम गांव का रहने वाला एक और जवान जोगा कवासी पिछले महीने पुलिस में शामिल हुआ था। स्टेट के डेंटेट प्रभावितवाड़ा जिले के अरनपुर थाना क्षेत्र में अपराधियों ने बुधवार को सुरक्षा चिंताओं के काफिले में शामिल एक वाहन को विस्फोट से उड़ा दिया था। इस घटना में जिला रिजर्व गार्ड (डीएमजी) के 10 जवान और एक चालक की मौत हो गई।
दागेवाड़ा हमले में शहीद हुए 5 जवान थे पूर्व पुत्री
2008 में पहली बार डीआरजी का गठन हुआ था
बता दें कि बस्तर संभाग के स्थानीय युवकों और आत्मसमर्पण करने वाले बेटियों को सुरक्षाबल की सबसे अधिक मार्क क्षमता वाले जिला रिजर्व गार्ड में भर्ती किया जाता है। स्थानीय होने के कारण डीआईजी के सील्स को ‘माटी का लाल’ भी कहा जाता है। पिछले तीन दशकों से चल रहे वामपंथी उग्रवाद के खतरे से लड़ने के लिए लगभग 40 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में सन्निहित बस्तर के सात में अलग-अलग समय पर डीआरजी का गठन किया गया था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि द्रजी का गठन पहली बार 2008 में कांकेर (उत्तर बस्तर) और नारायणपुर (अबूझमाड़ शामिल) जिले में किया गया था। इसके पांच साल बाद 2013 में बीजापुर और बस्तर में क्षेत्रीय रूप से बल का गठन किया गया। इसके बाद इसका विस्तार करते हुए 2014 में सुकमा और कोंडागांव में मिलकर डेराजी का गठन किया गया। जबकि दंगल में 2015 में डीआरजी का गठन किया गया था।
function loadFacebookScript(){
!function (f, b, e, v, n, t, s) {
if (f.fbq)
return;
n = f.fbq = function () {
n.callMethod ? n.callMethod.apply(n, arguments) : n.queue.push(arguments);
};
if (!f._fbq)
f._fbq = n;
n.push = n;
n.loaded = !0;
n.version = ‘2.0’;
n.queue = [];
t = b.createElement(e);
t.async = !0;
t.src = v;
s = b.getElementsByTagName(e)[0];
s.parentNode.insertBefore(t, s);
}(window, document, ‘script’, ‘//connect.facebook.net/en_US/fbevents.js’);
fbq(‘init’, ‘1684841475119151’);
fbq(‘track’, “PageView”);
}
window.addEventListener(‘load’, (event) => {
setTimeout(function(){
loadFacebookScript();
}, 7000);
});













