
UNITED NEWS OF ASIA. महासमुंद | बारनवापारा अभयारण्य के वन ग्राम से 399 परिवारों को 10 साल पहले महासमुंद जिले के रामसागार पारा (भावा), श्रीरामपुर और लाटादादर में बसाया गया था। लेकिन आज तक इन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित नहीं किए जाने के कारण ग्रामीण शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। यह स्थिति उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के लिए मजबूर कर रही है।
वर्ष 2013 में, महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत भावा के आश्रित ग्राम रामसागरपारा में बारनवापारा अभयारण्य के वनों में बसे 399 परिवारों में से 168 परिवारों को बसाया गया था। उन परिवारों को 12 डिसमिल भूमि पर मकान और जीविकोपार्जन के लिए 5 एकड़ कृषि भूमि दी गई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाने और सभी बुनियादी सुविधाएं देने का वादा किया था।
हालांकि, 10 साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद ये ग्राम न तो राजस्व ग्राम घोषित हुए और न ही इन परिवारों की ज़मीन को ऑनलाइन किया गया। इसका सीधा असर यह हुआ है कि इन ग्रामीणों को शासन की कई महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।
इन परिवारों के बच्चों के जाति और निवास प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहे हैं, जबकि उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड, वृद्धा पेंशन, मनरेगा जॉब कार्ड, किसान सम्मान निधि, और बैंक से ऋण प्राप्त करने में भी कठिनाई हो रही है। परेशान ग्रामीण अब अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं और राजस्व ग्राम घोषित करने की मांग कर रहे हैं।
इस मामले पर कलेक्टर विनय कुमार लंगेह का कहना है कि जल्द से जल्द इन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। कलेक्टर के आश्वासन के बाद, पीड़ित परिवारों को उम्मीद है कि उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्र होगा।
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