
हाई कोर्ट के फैसले के 11 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को कम उम्र की सजा सुनाई। जिसके बाद कल तक दिल्ली को दहलाकर चमकने वाले दोस्त मोहम्मद अली भट्ट और मिर्ज़ा निसार हुसैना बाकी की जिंदगी जेल में गुज़ारेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने 1996 के लाजपत नगर बम विस्फोट मामले में चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। 13 लोगों की जान लेने वाले मामले की अनदेखी का आरोप लगाते हुए, अदालत ने चारों को मामले की माफी के बिना शेष जीवन के लिए जेल की सजा सुनाई। जस्टिस रतन रामकृष्ण गवई, विक्रम नाथ और संजय कैरोल की तीन जजों की बेंच ने रविवार को फैसला सुनाया। यह फैसला मोहम्मद नौशाद और जावेद अहमद खान की दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपीलों के आधार पर आया। पिछले 27 वर्षों में इस केस ने कई उत्कर्ष- उत्कर्ष देखे। कभी-कभी मुक़दमा अदालत की ओर से दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई गई। लेकिन फिर हाई कोर्ट की तरफ से बैरी कर दिया गया। अब हाई कोर्ट के फैसले के 11 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को कम उम्र की कैद की सजा सुनाई है। जिसके बाद कल तक दिल्ली को दहलाकर चमकने वाले दोस्त मोहम्मद अली भट्ट और मिर्ज़ा निसार हुसैना बाकी की जिंदगी जेल में गुज़ारेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई
अदालत ने राज्य की विशेष याचिकाओं पर भी विचार किया, जिसमें नौशाद की मौत की सजा को कम करने और मौत की सजा देने वाले दो प्रतिष्ठित अमीर निसार हुसैन और मोहम्मद अली भट्ट को दफनाने के फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। आतंकवादी हमलों के 27 साल बाद एक आदेश में कहा गया कि भले ही यह दुर्लभतम मामला है, फिर भी कई अपराधियों पर विचार किया गया, हम प्राकृतिक जीवन तक बिना छूट के अल्पसंख्यकों की सजा देते हैं। असलम मिर्ज़ापुर निसार हुसैन और मोहम्मद अली भट्ट को सरप्राइज देने का निर्देश दिया गया है।
जिस शाम दहल उठा दिल्ली का लाजपत नगर
21 मई 1996, की वो तारीख घड़ी में शाम के करीब 6 बजे 45 मिनट हो रहे थे। भीड़-भाड़ वाले लाजपत नगर के सेंट्रल मार्केट में लोग खरीदारी में लगे हुए थे। चारों तरफ की गैलरी ही थी। तभी एक जबरदस्त बम विस्फोट हुआ। पल भर में वहां मातम छा गया। इस हादसे में 13 लोगों की जान चली गई और 38 लोग घायल हो गए। पुलिस के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पीछे इस्लामिक फ्रंट की साजिश थी।
1996 लाजपत नगर बम विस्फोट कांड की घटना
21 मई, 1996 – सेंट्रल मार्केट के लाजपत नगर में बम विस्फोट में 13 लोगों की मौत।
26 अगस्त, 1996 – पुलिस ने एक महिला सहित 10 चार लोगों को अदालत में आरोप पत्र देकर गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने पेश की 201 गवाहों की सूची।
20 नवंबर, 2000 – अदालत ने हत्या, हत्या के प्रयास, राष्ट्र विरोधी गुटबाजी और गुटबाजी अधिनियम के तहत आरोप लगाए। असमान्य होने का दावा किया गया।
1 सितंबर, 2009 – जिला न्यायाधीश ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस.पी. गर्ग की अदालत में स्थानांतरण कर दिया गया।
7 सितंबर 2009 – गर्ग की अदालत में सुनवाई शुरू हुई।
30 मार्च, 2010 – अदालत ने फैसला सुनाया।
8 अप्रैल, 2010 – अदालत ने छह दोषियों को दोषी ठहराया और चार को दफना दिया।
13 अप्रैल, 2010 – कोर्ट ने सजा की मात्रा पर दलीलें सुनां।
22 अप्रैल, 2010 – अदालत ने तीन दोषियों को मौत की सजा सुनाई, एक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। एक झलक को सात साल की सज़ा मिली। झीनी महिला को चार साल और दो महीने की जेल की सजा दी जाती है।
2012 में दिल्ली हाई कोर्ट ने भट्ट और हुसैन को दफना दिया। संयोग से 7 साल बाद जुलाई 2019 में दोनों समलेटी बस ब्लास्ट मामले में भी बरी हो गए।
यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ एशिया पर खबरों का विश्लेषण लगातार जारी है..
आपके पास किसी खबर पर जानकारी या शिकायत है ?
संपर्क करें unanewsofficial@gmail.com | 8839439946, 9244604787
व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें
विज्ञापन के लिए संपर्क करें : 9244604787
निष्पक्ष और जनसरोकार की पत्रकारिता को समर्पित
आपका अपना नेशनल न्यूज चैनल UNA News
Now Available on :