
प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी में जारी बजट सत्र के दूसरे दिन शून्य काल में जसपुर से कांग्रेस सदस्य चौहान ने उधमसिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला कायम रखा था जिसे अध्यक्ष ने अदालत में विचाराधीन होने की सरकार की रिपोर्ट का हवाला दिया दिया गया था।
उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को विपक्षी कांग्रेस सदस्यों ने विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव को समझौते के तहत जाने के अध्यक्ष खंडूरी के फैसले का विरोध करते हुए जोरदार जोर दिया। इसकी वजह से विधानसभा की कार्यवाही कई बार सक्रीय हुई और 15 घंटे कोभर के लिए स्थगित कर दी गई। प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी में जारी बजट सत्र के दूसरे दिन शून्य काल में जसपुर से कांग्रेस सदस्य चौहान ने उधमसिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला कायम रखा था जिसे अध्यक्ष ने अदालत में विचाराधीन होने की सरकार की रिपोर्ट का हवाला दिया दिया गया था।
इस फैसले से असंतुष्ट हुए कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के सामने पहुंच गए। सुरक्षा के लिए उन्हें रोकने के बावजूद कई सदस्य इस झटके के दौरान मुक्की पर उतरे आए जिसके कारण विधानसभा के प्रभार में हेम चंद्र को अपना आसन छोड़ना पड़ा। इसके बाद भी सदस्य, सचीव का बूढ़ा आदमी अपना जुराब धारण करते हुए। चौहान के साथ ही दूसरे के पिरान कलियर से कांग्रेसी सदस्य फुरकान अहमद भी उम्रदराज चौकी पर कब्जा करने लगे।
वे विधानसभा की नियमावली की किताब की नकल करते हैं और कागज को भी झाड़ते हैं। इस दौरान, अध्यक्ष सदस्य शांत रहते हैं और अपनी सीट पर बैठने की अपील करते हुए जम जाते हैं लेकिन जब उनकी बात नहीं सुनी जाती तो वे हंगामे में सभी को प्राप्त करने के लिए चढ़ते हैं, चढ़ते हैं और सदन की कार्यवाही अपराहन तीन बजे तक के लिए क्रिया कर दी। बाद में, समझौते से बातचीत में खंडूरी ने मालिकों के उग्र प्रदर्शन को गलत बयान देते हुए कहा कि सदन में मास को तोड़ना और विधानसभा के मामले के बारे में सचिव को बताना बिल्कुल सब कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर उनके फैसले को लेकर सदस्यों को किसी तरह की समस्या थी तो इसे बातचीत कर सुलझाया जा सकता था लेकिन बातचीत के बजाय घरों के अंदर उग्र प्रदर्शन किया गया जो सही नहीं है। खंडूरी ने कहा, ”प्रभारी सचिव को झटका देना, उनके महीने पर दर्ज और नियमावली पुस्तिका को छोड़कर के बजाय विधायक अलग से मेरे पास आ सकते थे। इस हंगामे में बुजुर्ग विधायक भी शामिल थे।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सदस्यों के व्यवहार कल भी राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन के गरिमा के अनुरूप नहीं थे और आज भी उन्होंने दोहराया। इस व्यवहार को गलत बयान देने वाले अध्यक्ष ने कहा कि इसीलिए सभी सदस्यों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। तीन बजे के बाद कार्यवाही फिर से शुरू होने पर भी सजे हुए घरों ने नहीं छोड़ी और किस वजह से कार्यवाही चार बार और स्थिरता कार्रवाई की। पांच बार प्रदर्शन होने के बाद शाम पांच बजे सदन की कार्यवाही राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के साथ शुरू हुई लेकिन विधायक फिर राष्ट्रपति के आसन के सामने आकर नारेबाजी करने लगे।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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