
पूर्व एयर मार्शल खोसला
तवांग में भारतीय सेना और चीनी सोने के बीच हुई झड़पों को लेकर एयर सर्किट के प्रमुख अखिल कुमार खोसला ने भारतीय सेना की टोपी देखी की जांच की है। उन्होंने कहा “सिर्फ ईस्टर्न एयरकैंड ही नहीं बल्कि पूरे एयरफोर्स की स्ट्रैंथ लगातार बढ़ रही है। अपने 40 साल के करियर में मैंने जो अनुभव किया उसके आधार पर आपको बता सकता हूं कि पिछले 3 सालों में हमारी सेना की कापी मजबूत हुई है। सेना में रफाल आए, चीनुक आए, नेटवर्क सेंट्रीसिटी आई, बडवेदर और नाइट विजन ऑपरेशन की कैप दी गई है, इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा है।
क्या हम इस तरह के अग्रेशन को फेस करने के लिए तैयार हैं?
हम हर तरह के चैलेंज को फेस करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। सेना के तीनों अंग हमेशा तैयार रहते हैं जैसे हमारी टोपी भरी जा रही है वैसे ही क्षमता से लेकर वेग युद्ध तक हम अभी और काम कर रहे हैं। हमेशा सर्विसेज दो तरह से प्लान करते हैं एक जो हमारे पास मौजूदा अजीब है उससे किस तरह से जंग लड़ती है और जो गैप होते हैं उसे हमें भविष्य में किस तरह से भरना है उस पर हम लगातार काम करते रहते हैं।
चीन ने अपने 6 एयरबेस को एक्टिव कर लिया है कि हम उस चुनौती को फेस करने के लिए तैयार हैं?
इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने से ऑपरेशनल कैप बढ़ जाती है। चीन की इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिंग कैपिंग का दायरा काफी हद तक सिविल और मिलिट्री दोनों ही है, वह लगातार बढ़ रहा है। द्वंद्वयुद्ध इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है ताकि सिविल और मिलिट्री दोनों में ही उसका इस्तेमाल किया जा सके लेकिन हमारी तरफ से भी इसे लगातार क्रम में रखा जा रहा है। हाल ही में पीएम मोदी वहां पहुंचे थे। उन्होंने हाईवे को डिक्लेयर किया। हमारी क्षमताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। सिविल और मिलिट्री एयरफील्ड दोनों में ही हम आगे बढ़ रहे हैं। हाईवे एज रनवे इस पर भी लगातार काम कर रहा है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। चीन जो भी कर रहा है उसे लगातार सर्विसेस मॉनिटर करता है। उन्होंने क्या इंफ्रा बनाया है? उससे प्रोटेक्शन का क्या प्लान होना चाहिए? ऐसे प्लान लगातार बनते रहते हैं।
सीज़न और टेरेन कितना चुनौतीपूर्ण है?
इसमें सीज़न और टेरेन का संयोजन कठिनाई और चुनौती पैदा करता है। अगर मौसम खराब हो जाए तो हमारी संबंधित और बढ़ जाती है। ट्रूप्स को अगर जल्दी एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है और अगर मौसम खराब हो तो यह हमारे लिए बड़ी चुनौती बन जाता है। पिछले दिनों भारतीय फाइलिंग के बैड वेदर में जो कैप से ढका हुआ था उसे संचालित करने के लिए उसे काफी ब्लॉग मिला। मॉर्डनाइजेशन ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है। जिससे कि बैड वेदर में काम करने की हमारी क्षमता बढ़ जाती है। खराब वेदर में नेवीगेशन सिस्टम को उन्नत किया जाना चाहिए और अच्छी तरह से अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और इन तीनों में सेवा पर ध्यान दिया जा रहा है। इन टोपी को और सींक भी किया जा रहा है।
टेरेन कितना डिफिकल्ट है?
ये टेरेन उच्च ऊंचाई वाला टेरेन है। ईस्टर्न एयर कमांड का बॉर्डर 5 देशों के साथ है, इसमें लैंड भी सी है। 12 राज्य में हॉर्स स्प्रेड हुआ है। नॉर्थ ईस्ट टेरेन की ऊंचाई है। यह टेरेन 17,000-18,000 फीट ऊपर है। इसमें काफी विवाद आ रहे हैं। ठंड और ऐक्सिबिलिटी इससे मैन और मशीन दोनों पर असर पड़ता है। वहां पर सड़क बनाना और उसकी देखभाल करना काफी मुश्किल होता है। जब आप वहां पर काम कर रहे हैं तो वहां हाई एल्टीट्यूड सीख रहे हैं और दोनों को लगातार सामना करना पड़ रहा है। उच्च-ऊंचाई की सीमा आपको इसलिए चाहिए जहां से आप लगातार अभ्यास कर सकते हैं। वह सब काफी चैलेंजिंग है। पूर्वोत्तर का हर एक राज्य जो टेरेन है वह काफी चुनौतीपूर्ण है। ऊंचाई पर हिल और जंगल का एक संयोजन है।
चीन लगातार ऐसा हिमाकत क्यों कर रहा है?
चीन का हिमाकत एक बड़ा मेल है। 14 देशों के साथ उनकी सीमा विवाद था लेकिन सबके साथ उन्होंने समझौता कर लिया लेकिन भारत और भूटान के साथ अभी भी यह मसला बना है। यह एक सटीक कार्य किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि हर 2 साल के बाद ऐसा चेहरा देखने को मिलता है। पहले चुमार में, गालवान में, डोकलाम में, एक बार उत्तर में, एक बार पूर्व में होता है। इसका जो लिंक है वह चीन की घरेलू गतिविधियों पर भी निर्भर करता है। ऐसा लगता है जब गल्वान हुआ था तब चीन पर बैंकिग का दबाव था, फिर भी जीरो बैंकिंग पॉलिसी का बहुत बड़ा दबाव उन पर है। यह चीन पर स्थायी रूप से करता है लेकिन इसमें विवरण है। हम अपनी सीमा में खुश हैं। हमारा कोई टेरिटरी बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है लेकिन आप हमारी टेरिट्री हमारे पास ही छोड़ें दो। अगर कोई हमारी टेरिटरी में घुसकर कुछ करना चाहेगा तो हम उसका जवाब देने के लिए तैयार हैं।
एक शिष्य की दृष्टि से आप इस मुद्दे को किस तरह देखते हैं?
क्या एक सिपाही के तौर पर आपको लगता है कि इस मामले पर जो राजनीति हो रही है, उससे देश कमजोर दिख रहा है, सभी पक्षों को एकता से कम सुरक्षा के मामले में कम होना चाहिए? इसका जवाब देते हुए अनिल कुमार खोसला ने कहा कि ट्रेंडिंग जो वॉर फेयर है। वह सिर्फ मिलिट्री की लड़ाई नहीं है, यह गवर्नमेंट एप्रोच है। चाइना ने इस कला में महारत हासिल की है कि बिना किसी लड़ाई के किस तरह से अपने मनोभाव को हासिल करें। चीन आर्थिक क्षेत्र, साइबर क्षेत्र में और डिप्लोमेसी में आक्रामक है। अब रिस्पेंस सिर्फ मिलिट्री नहीं रह गई है। अब सरकार को भी इसमें शामिल होना चाहिए। चीन के एटीट्यूड को ध्यान में रखते हुए हमें हमेशा रहने के लिए तैयार रहना चाहिए। हम अपनी डिटेरेन्स फॉर्मुलेशन को बढ़ाएंगे।
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