
नई दिल्ली। कोरोना (coronavirus) के कारण बैंकिंग सेक्टर का हाल खराब है। कोरोना के कारण बैड लोन (खराब ऋण) में कोई भी रास्ता नहीं निकल रहा है। आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद ही वित्त मंत्री निर्मल सीतरमण (निर्मला सीतारमण) ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वो लोन लेने में अक्षम नहीं हैं और इसकी वजह से सरकार दे रही है। स्थिति की स्थिति के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। वर्तमान में खतरनाक स्थिति को सुधार के लिए सरकार को 1.5 लाख करोड़ (19.81 बिलियन) निवेश की आवश्यकता है।
तीन सरकारी और बैंकिंग सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि भारत को सार्वजनिक सेक्टर से संबंधित 1.5 लाख करोड़ रुपये (19.81 बिलियन) निवेश की आवश्यकता हो सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना महामारी के कारण सामाजिक लोगों पर बैड लोन का बोझ जुड़ सकता है।
पहले 25 हजार करोड़ का विशेष बजट की योजना
रॉयटर्स के मुताबिक, केंद्र सरकार पहले 25 हजार करोड़ रुपये का स्पेशल बजट बैंक री-कैपिटलाइजेशन के बारे में सोच रही थी। लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे और बढ़ा दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डिमांड में तेजी से आने के लिए रिजर्व बैंक लगातार रैपो रेट घटा रहा है और स्थिति बढ़ाने के लिए रिवर्स रैपो रेट में भी चयन करने की योजना जारी कर रहा है। वर्तमान में सन्तोष को फ्रेश फंड की जरूरत है।
दूसरे निर्णय में अंतिम निर्णय की उम्मीद
एक अन्य सरकारी सूत्र ने कहा कि योजनाओं पर अभी भी चर्चा हो रही है और वित्तीय वर्ष की दूसरी संभावना में अंतिम पूंजी निर्णय लिया जा सकता है। बता दें कि भारत का वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल सितंबर में साइट का कुल एनपीए (एनपीए) करीब 9.35 लाख करोड़ रुपये था। उस समय उनका कुल असेट का 9.1% था। इस महीने की शुरुआत में रॉयटर्स ने बताया था कि अगले साल वित्त के अंत तक कर्जों की कुल संपत्ति का 18% -20% तक बढ़ने की संभावना है, क्योंकि 20% -25% शेयर ऋणों को डिफ़ॉल्ट के जोखिम पर माना जाता है।
सामाजिक सरकार द्वारा किए जाने वाले री-कैपिटलाइजेशन के बारे में एक सूत्र ने कहा कि अकेले सरकार के लिए ऐसा करना संभव नहीं है। यह राशि केंद्रीय बैंक द्वारा राशि मुद्रांकन के माध्यम से आंशिक रूप से वित्त पोषित की जा सकती है। सूत्र का कहना है कि इसके लिए हो सकता है कि बॉन्ड जारी हो जाए। इसके साथ ही राशि का कुछ हिस्सा रिजर्व बैंक फिस्कल डेफिसिट मोनेटाइजेशन के जरिए भी दिया जा सकता है।
पिछले पांच साल में सरकार की तरफ से पब्लिक सेक्टर खतरों के लिए पहले ही 3.5 लाख करोड़ रुपये की वजह इन्फ्यूज की जा रही है। एक बुजुर्ग बैंकर ने कहा कि कोरोना संकट में सामाजिक रूप से लोन पर चलने की गति पहले कम जरूर हुई है, लेकिन सरकार चाहती है कि कोरोना संकट के कारण इस पर असर न पड़े। सरकार चाहती है कि बैंक की लेंडिंग स्पीड 6-7% दर से बढ़ती रहे।
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प्रथम प्रकाशित : 28 मई, 2020, 05:55 IST
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